भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, मुक्तेश्वर में “इंटीग्रेटेड डायग्नॉस्टिक्स फॉर जूनोटिक थ्रेट्स” प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

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भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संस्थान, मुक्तेश्वर

मुक्तेश्वर, । भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा प्रायोजित “इंटीग्रेटेड डायग्नॉस्टिक्स फॉर जूनोटिक थ्रेट्स: ए वन हेल्थ कैपेसिटी-बिल्डिंग हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग” नामक प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ आज भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर–आईवीआरआई), मुक्तेश्वर कैम्पस में किया गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से आए 30 चयनित प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. सुरेश एस. हॉन्नप्पागोल, पूर्व पशुपालन आयुक्त, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने अपने उद्बोधन में प्रतिभागियों को उन्नत निदान तकनीकों के विकास पर विचार करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि रोगों की शीघ्र पहचान के लिए “रैपिड डायग्नोस्टिक किट्स” का विकास समय की आवश्यकता है, जो न केवल रोगों की प्रारंभिक अवस्था में पहचान करने में सहायक होंगी, बल्कि प्रभावी नियंत्रण रणनीति तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी। उन्होंने युवाओं से अपेक्षा की कि वे इस प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान को अपने व्यावहारिक कार्यों में लागू कर समाज एवं राष्ट्र के स्वास्थ्य सुरक्षा तंत्र को सुदृढ़ बनाएं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संयुक्त निदेशक, मुक्तेश्वर कैम्पस डॉ. वाई.पी.एस. मलिक ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम की तकनीकी रूपरेखा इस प्रकार तैयार की गई है, जिसमें सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव का संतुलित समावेश है। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और युवा शोधकर्ताओं के बीच ज्ञान-विनिमय, कौशल-वृद्धि और अंतरविषयक सहयोग को प्रोत्साहित करना है।

पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. एम. स्वामीनाथन ने बताया कि इस प्रशिक्षण हेतु देशभर से 50 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 30 प्रतिभागियों का चयन किया गया। ये प्रतिभागी सामान्य एवं पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी, जनस्वास्थ्य, महामारी विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, मत्स्य विज्ञान और रसायन विज्ञान जैसे विविध विषयों से हैं।

कार्यक्रम का संचालन पाठ्यक्रम सम्वन्यक डॉ. विशाल चंदर ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन पाठ्यक्रम सम्वन्यक डॉ. अशुतोष फूलर द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर डॉ. अर्नब सेन (प्रभारी, आईवीआरआई कोलकाता परिसर), डॉ. शैलेंद्र सक्सेना (उप-डीन, केजीएमयू लखनऊ), डॉ. वी. बालामुरगन (WOAH विशेषज्ञ, आईसीएआर–एनआईवीईडीआई, बेंगलुरु), डॉ. हरमनप्रीत कौर (सहायक प्रोफेसर, एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा), डॉ. अमित कुमार, डॉ सी एल पटेल सहित अनेक वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

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